नई दिल्ली: भारत और चीन की सरहद यानि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तैनात सैनिकों के लिए अमेरिका (USA) से खरीदे गए विशेष कपड़े वरदान साबित हो रहे हैं. ये कपड़े भारत ने अक्टूबर में अमेरिका से अर्जेंट खरीद के जरिए हासिल किए थे. नई वर्दी में पांच लेयर हैं जो वजन में बेहद हल्के हैं. जिन्हें खासतौर पर पूर्वी लद्दाख की पहाड़ियों पर शून्य से 40 डिग्री तक नीचे के तापमान पर रहने वाले जवानों के लिए मंगाया गया है.
5 स्तरीय सुरक्षा कवच
सूत्रों के मुताबिक LAC पर तैनात सैनिकों के लिए इन खास कपड़ों के लगभग 20000 सेट अक्टूबर में खरीदे गए थे. जिन्हें नवंबर में फॉरवर्ड इलाकों पर तैनात बटालियनों को देना शुरू कर दिया गया था. वहीं जो सैनिक रेज़ांग ला, रेचिन ला, मुखपरी जैसी 16000 हज़ार फीट से भी ज्यादा ऊंचाई के मोर्चों पर तैनात हैं उन्हें ये कपड़े दिए जा रहे हैं. इन कपड़ों में पहले अंडर गार्मेंट्स, फिर बॉडी वार्मर्स, इसके बाद गर्म कपड़ों की तीन और लेयर्स यानी कुल पांच परत हैं
चुशूल की पहाड़ियों का पारा शून्य से 30-35 डिग्री तक नीचे जा चुका है. वहीं नए कपड़े सैनिकों का ठंड से पूरी तरह बचाव कर रहे हैं. नए कपड़े बेहद हल्के हैं, इन्हें पहनने के बाद घुटन का अहसास नहीं होता है और इनका रखरखाव करना भी बेहद आसान है.
LEMOA से हुई आसानी
भारत ने अक्टूबर में LOGISTIC EXCHANGE MEMORANDUM AGREEMENT यानि LEMOA के तहत अमेरिका से ये कपड़े खरीदे थे. LEMOA के तहत दोनों देशों की सेनाएं जरूरत पड़ने पर एक दूसरे से कपड़े, खाना, दवाइयां, लुब्रिकेंट्स और स्पेयर पार्ट्स जैसी जरूरी चीजें बिना किसी लंबी कागजी कार्यवाही के खरीद सकती हैं. भारतीय सेना (Indian Army) कई और यूरोपियन देशों से भी EXTREME HIGH ALTITUDE AREAS की सर्दियों के लिए जरूरी कपड़े, टेंट्स और अन्य साजोसामान खरीद रही है.
सियाचिन में सर्वश्रेष्ठ अनुभव
भारतीय सैनिक 1984 से दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन में भी तैनात है. जहां के लिए जरूरी कपड़े और बाकी सामान विदेशों से खरीदे जाते हैं. कुछ भारतीय कंपनी DRDO के सहयोग से दुर्गम इलाकों के लिए जरूरी सामान बनाती हैं. सेना हर साल लगभग 30,000 सैनिकों के लिए सर्दियों के सीजन का सभी जरूरी सामान सितंबर तक लद्दाख स्थित सेना के गोदाम में सुरक्षित कर लेती है. इस बार LAC पर 40-50 हजार अतिरिक्त सैनिक तैनात हैं इसलिए यहां बड़े पैमाने पर इन खास कपड़ों की जरूरत थी.
चीन से तनाव के बीच तैयारी
इस साल मई में चीन के साथ शुरू हुए तनाव के जारी रहने के बाद जुलाई में ही सेना और वायुसेना ने बड़े पैमान पर अभियान चलाकर सर्दियों के लिए जरूरी चीजों का भंडारण करना शुरू कर दिया था. सड़कों के अलावा वायुसेना ने अपने सबसे बड़े ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ग्लोबमास्टर, आईएल 76 और सुपर हर्क्युलिस को भी पूरे देश से लेह तक सेना के लिए जरूरी साजोसामान पहुंचाने के काम में लगा दिया था.
लेह (Leh) एयरबेस से इस सामान को चिनूक और MI-17 जैसे भारी मालवाहक हेलीकॉप्टर्स से फॉरवर्ड इलाकों तक पहुंचाया गया था. सेना ने लद्दाख के अपने गोदामों में पूरी सर्दियों के लिए ज़रूरी कपड़े, टेंट और रसद का भरपूर भंडारण किया था ताकि सरहद पर तैनात सैनिकों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े.
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