नई दिल्ली: RBI का सरकार के साथ तालमेल कैसे है? डिपॉजिटर के खयाल RBI किस तरह रख रहा है? नए बैंकिंग लाइसेंस कब तक? महंगाई काबू करने की RBI की क्या योजना है? RBI की कार्यप्रणाली में सरकार का कितना दखल है? भारत में डिजिटल बैंकिंग इंफ्रा कितना मजबूत है? इस तरह के अहम सवालों का जवाब Zee Media के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी (Anil Singhvi) के साथ खास बातचीत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास दास (Shaktikanta Das) ने दिया.
सवाल-1: RBI का सिंहासन है या कांटों का ताज, 2 साल में कैसा लगा आपको?
जवाब: शक्तिकांत दास दास ने बताया कि गवर्नर का पद एक जिम्मेदारी होती है. ऐसे में मेरे सामने हमेशा 2 तरह की स्थितियां रहीं. जहां एक तरफ मुझे देश की इकोनॉमी के लिए योगदान का बड़ा अवसर मिला. वहीं दूसरी ओर विपक्ष के चलते चुनौतियां और कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा.
सवाल-2: आमतौर पर छवि होती है कि RBI गवर्नर कम बात करते हैं. आपने इस इमेज को तोड़ा है. साथ ही सरकार के साथ भी आपकी खूब बनती है. ये बदलाव कैसे हुआ है?
जवाब: दास ने कहा कि दुनिया भर में सरकारों और सेंट्रल बैंकों की सोच अलग होती है. हमें बातचीत करके मतभेदों का समाधान निकालना चाहिए. इकोनॉमी की ग्रोथ पर जवाबदेही सरकार ज्यादा होती है. ऐसे में विरोध होने पर मुद्दों का हल बातचीत के जरिए निकालना सबसे बेहतर होता है.
सवाल-3: RBI गवर्नर के तौर पर 2 साल के कार्यकाल में आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या रही?
जवाब: RBI गवर्नर बनने के वक्त NBFC सेक्टर को लेकर चुनौतियां थीं. NBFC सेक्टर की स्थिरता और लिक्विडिटी को लेकर बड़े सवाल थे. NBFCs और बैंकों को सामान्य करने, भरोसा बढ़ाने की चुनौती थी. जिन्हें देखते हुए NBFC और बैंकों पर निगरानी के लिए RBI ने कई कदम उठाए. इस दौरान बैंक, वित्तीय संस्थानों में दिक्कतों को पहले से भांपने की कोशिश की. जिसके बाद मैनेजमेंट को आगाह करके सलाह और दिशानिर्देश जारी किए गए.
सवाल-4: RBI को दुनियाभर में सबसे बेहतरीन सेंट्रल बैंक माना जाता है. RBI के सामने बड़ा चैलेंज है PMC, यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक को लेकर दिक्कतें आईं. यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक का मुद्दा अच्छे से हैंडल हुआ. आखिर निगरानी के बावजूद बैंक क्यों फेल हो रहे हैं? रिवाइवल की कोशिशों में बॉन्ड और इक्विटी होल्डर के साथ अन्याय क्यों हो रहा है?
जवाब: डिपॉजिटर के हित पर बात करते हुए गवर्नर ने बताया कि ‘बैंकों पर निगरानी’ करने के लिए RBI ने काफी कड़े कदम उठाए हैं. हम बैंकों का बिजनेस मॉडल समझते हैं. लोन बुक पर नजर रखते हैं. हम बैंकों के मामले में डिपॉजिटर का हित देखकर फैसले लेते हैं. और ये सभी फैसले कानून और रेगुलेटरी गाइडलाइंस के तहत लिए जाते हैं.
सवाल-5: नए बैंकिंग लाइसेंस के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी किए. NBFCs को बैंक बनाने के लिए भी गाइडलाइंस हैं. लोगों को लग रहा है गाइडलाइंस दिखाने के लिए अच्छे हैं. लेकिन क्या RBI सच में नए लाइसेंस देना चाहता है?
जवाब: दास ने जवाब दिया कि बैंकिंग लाइसेंस के लिए कभी भी और कोई भी आवेदन कर सकता है. हालांकि इंटरनल वर्किंग ग्रुप की सिफारिशों पर अभी फैसला नहीं हुआ है. लेकिन सिफारिशों पर सुझावों का इंतजार है. हम बातचीत कर फैसला लेंगे.
सवाल-6: महंगाई ज्यादा है, लेकिन डिपॉजिट पर ब्याज कम मिल रहा है. खास तौर से सीनियर सिटिजन को. महंगाई घटाने को लेकर क्या प्लान है?
जवाब: MPC के मुताबिक महंगाई दर अगले कुछ महीनों तक ज्यादा रहेगी. MPC के मुताबिक सर्दियों में महंगाई से थोड़ी राहत की भी उम्मीद है. सरकार की ओर से महंगाई घटाने को लेकर कई कदम उठाए गए हैं. राज्य सरकारों को भी महंगाई घटाने को लेकर उपाय करने चाहिए. दूध, अंडे और चिकन की कीमतों को लेकर कदम उठाने चाहिए. हमारी ग्रोथ पर भी नजर है. हालात पर काफी ध्यान से नजर बनाए हुए हैं. कोविड संकट के बीच ब्याज दरों पर जल्दबाजी में फैसला नहीं लेंगे.
सवाल-7: आप प्रो-एक्टिव हो रहे हैं. निष्पक्ष हो रहे हैं. क्या वाकई में RBI अमेरिकी फेड की तरह प्रो-एक्टिव हो रहा है?
जवाब: RBI हमेशा आगे की स्थिति को देखकर फैसले लेने की कोशिश करता है. RBI के पास पर्याप्त स्वायत्तता है. सरकार से चर्चाएं होती है. लेकिन RBI स्वतंत्र रूप से फैसले लेता है.
सवाल-8: मार्केट रिकॉर्ड ऊंचाई है. डॉलर बहुत आ रहा है. इतिहास में एक महीने में इतना पैसा कभी नहीं आया. वापस निकलेगा तो क्या? RBI कैसे नजर रख रहा है?
जवाब: RBI के पास विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल $579 अरब पर है. FIIs की निकासी की स्थिति का सामना करने को तैयार है. लिक्विडिटी की स्थिति अभी ऐसे ही जारी रहने की उम्मीद है. हम रिजर्व मैनेजमेंट को काफी ध्यान से मॉनिटर कर रहे हैं.
सवाल-9: डिजिटल बैंकिंग में कुछ मुद्दे आए हैं. आरटीजीएस 24X7 हो गया है. बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पुख्ता है?
जवाब: बैंकों के IT इंफ्रास्ट्रक्चर की भी निगरानी और जांच करते हैं. किसी मुश्किल वाली स्थिति में बैंकों को चेतावनी देते हैं.
सवाल-10: डिजिटल लोन वाले ऐप्स ग्राहकों को रिकवरी के लिए परेशान करते हैं. कुछ रेगुलेटरी ऐप्स अभी भी हैं. RBI क्या कर रहा है?
जवाब: इसे ध्यान में रखते हुए RBI ने फेयर प्रैक्टिसेज कोड जारी किया है. डिजिटल लेंडर वेबसाइट पर बताएंगे कि किस बैंक-NBFC के जरिए काम होगा. कस्टमर को पता चलेगा कि उन्हें अपनी शिकायत कहां दर्ज करानी है. बैंकों, NBFCs को बताना होगा कि डिजिटल लेंडिंग में पार्टनर कौन है.
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